Friday 21 June 2013

                                  मर्द को भी दर्द होता है .....







एक पुरानी कहावत है कि मर्द को दर्द नही होता है। यह कहावत पुराने समय के पुरुषों  के लिए तो सही थी लेकिन वर्तमान समय के पुरुषों  के लिए ठीक नही है क्योंकि आज ठीक इसका उल्टा हो रहा है मर्द को भी दर्द होता है मेरे यारों.
 आप सब जानना चाहते होंगें कि ऐसा कैसे हो सकता है और खासकर मेरे पुरुष मित्र जरुर सोच रहे होंगें तो मै बताती हूँ कैसे मर्द को भी दर्द होता है।आप सब याद करो।जब आपकी स्टूडेंट लाइफ थी तब कभी आप चार दोस्तों के साथ बैठे होंगे और बातों ही बातों में बात छिड़ी होंगी शादी की और जाहिर सी बात है की सबकी राय अलग -अलग होगी लेकिन उनमे से कोई एक दोस्त यह जरुर कहता होगा की यार !  "शादी के लड्डू जो खाए वो भी पछताए और जो न भी खाए वो भी पछताए "।  
                                                                अब आप सब कहेंगे इसमें नया क्या है ? यह बात तो हुई है दोस्तों के साथ एक बार नही कई बार हुई है जब हम गपशप किया करते थे तो यह बात हो ही जाया करती थी। आखिर तुम बताना क्या चाहती  हो आकांक्षा , तो ठीक है न .....यार इसी बहाने पुराने दिन याद करा  दिया मैंने, अच्छा तो अब सुनो कैसे मर्द को भी दर्द होता है।
अभी  कुछ दिनों पहले मै अपने शहर (कानपुर ) के परिवार परामर्श केंद्र में गयी थी वहां पर परिवार (पति -पत्नी ) में होने वाले झगड़ों को सुलझाया जाता है। वहां पर पति - पत्नी जिसको भी एक - दूसरे से परेशानी हो वो वहां पर  जाकर अपनी समस्या दर्ज कराते हैं।आप सोच रहे होंगे की वहां पर तो महिलाएं ही जाती होंगी जो अपने पतियों से पीड़ित होंगी तो आप गलत है क्योंकि आज केवल महिलाएं ही पुरषों से पीड़ित नही है बल्कि पुरुष भी महिलायों से पीड़ित हैं। 
मैंने परिवार परामर्श केंद्र के रजिस्ट्रेशन वाले रजिस्टर में जब शिकायते देख रही थी तो मैंने पाया की इस वर्ष जनवरी से लेकर मई तक 322 शिकायते दर्ज हुई थी और उनमें से 113 शिकायते तो उन पुरुषों ने दर्ज करवाई थी जो अपनी पत्नी से पीड़ित है यानि की 40% पुरुष अपनी पत्नियों से पीड़ित हैं। समाज में केवल महिलाएं ही बेचारी नही है , कुछ पुरुष भी ऐसे है जो बेचारे हैं। वो भी उन महिलाओं की तरह ही दया के पात्र हैं। 
                                                                  
वैसे तो मैंने वहां पर बहुत  से केस पढ़े जिनमें पुरुषों ने अपनी पत्नियों के खिलाफ  दर्ज कराया था लेकिन मै उनमे से दो केस के बारे में आपको बताती हूँ पहला केस -........ कानपुर के नवाबगंज में रहने वाले अमित ने शिकायत दर्ज करवाई है कि एक दिन उनकी पत्नी ने ऑफिस जाने से पहले उनसे कहा कि वो ऑफिस जाते टाइम रास्ते में ही दो मूवी की टिकटे ले ले हुआ यूं कि वो ऑफिस जाने के जल्दी - जल्दी में रास्तें में टिकट लेना गये भूल जो की यह आज के अधिकतर पतियों की निशानी हैं। जब अमित घर वापस आयें तो आप समझ सकते है हर पत्नी की तरह ही उनकी पत्नी ने भी एक गिलास पानी देने की जगह उनसे टिकटों के बारें में पूछ लिया होना क्या था फिर वही घमासान युद्ध और युद्ध के बाद उनकी बीवी ने उन्हें खाना खुद बना कर खाने को कह दिया। अमित ने सोचा आज पारा हाई है श्री मती जी का आज कैसे भी गुजारा कर लिया जायें फिर कल जब पारा कम हो जायेगा तब मना लिया जायेगा लेकिन उनका परा तो दिन बर दिन हाई होता गया अमित को 
एक हफ्ते बाहर लंच और डिनर करना पड़ा और उपर से पत्नी साहिबा ने बोलना भी बंद कर दिया। 
ऐसे ही दूसरी कहानी है कर्नलगंज के ताहिर की उनके साथ क्या समस्या है सुनो जरा .........शादी के दूसरे दिन से ही पत्नी साहिबा ने माँ बाप से अलग होने की बात करने लगी। जब तक माँ बाप से अलग नही हुए तब तक दिन रात वही झगड़ा फसाद , खुदखुशी करने की धमकी , आखिरकार उन्होंने हार मान ही ली और अपने माँ बाप के घर के पास में ही किराये पर रहने लगे लेकिन खाना वो अपने माँ बाप के घर पर खाने जाते थे जिससे उनकी पत्नी जी नाखुश थी। एक दिन जब ताहिर ऑफिस चले गये तभी उनकी पत्नी साहिबा घर में रखे सारे जेवर और 9 0 हजार रुपये लेकर मायके को फुर्र हो गयी। और वहां से आने का नाम नही ले रही हैं। 
                           
ऐसे बहुत  से लोग है जो पत्नी प्रताड़ित है जिनकी पत्नियाँ  दिन रात उनका  शारीरिक व मानसिक रूप से  शोषण  कर रही हैं।यह तो मैंने केवल आपको दो उदाहण मात्र दिए हैं। आपके आस पास भी ऐसे व्यक्ति होंगे या फिर शायद आपके ही कोई दोस्त हो जो रोज आपसे अपनी पत्नी के  कारनामे बताते थकते नही होंगे और आप सुनते।  समाज में सबकी सोच है की केवल महिलाएं ही सब कुछ शहती  है  ,  उनके ऊपर  ही अत्याचार उनके अंदर  ही केवल दिल हैं। समाज में पुरुषों की कोई बात ही नही करता , अगर करता भी है तो केवल यही की अरे यार फला फला अपनी पत्नी को पीटता है , केवल और केवल बुराई जैसे की मर्दों के अंदर दिल होता ही नही है , जैसे उनको दर्द नही  होता वो इंसान ही नही है।  
                                                         

आप लोगो का क्या सोचना है इस बारे में क्या वास्तव में मर्दों को दर्द  नही होता  हैं।    


 

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