दिल्ली दुष्कर्म कांड में अभिलिप्त उन चारों दरिंदों को जो सजा मिली ( फांसी ) है उसमे आज पूरा देश दशहरे के त्यौहार से पहले ही दशहरा जैसा जश्न मना रहा है और यह सौगात कहीं न कहीं मीडिया की देन हैं। वह मीडिया जिसने उस समय इस कांड को समाचार चैनलों में 24 घंटे अपने खबरों में दिखाया फिर उस समय सचिन रिटायर हुए या दबंग ने 200 करोड़ कमाए। मोदी हारे या जीते ………… शीला रहे या जाये ……दुनियां रहे या ख़त्म हो , किसी भी खबर को जगह न देकर उसी को खबर बनाये रखकर एक आन्दोलन की अलख को जगाये रखने में सहायता की।
वो आन्दोलन जो सामूहिक बलात्कार के बाद राजधानी दिल्ली की रायसीना हिल्स से लेकर इंडिया गेट तक फैले राजपथ पर देखने को मिला , उसमे न तो कोई नेता था और न तो कोई अभिनेता। न कोई अन्ना हजारे थे और न कोई आमिर खान। यदि कुछ थी तो वो युवा एकता थी जो नये ज़माने की मीडिया " सोशल मीडिया " की देन थी जो बात तो एक लाइन में करता है लेकिन इस एक लाइन का असर देश की सरकार तक को हिला देती है।
इसलिए आज एक सलाम हमारी मीडिया के नाम।
वो आन्दोलन जो सामूहिक बलात्कार के बाद राजधानी दिल्ली की रायसीना हिल्स से लेकर इंडिया गेट तक फैले राजपथ पर देखने को मिला , उसमे न तो कोई नेता था और न तो कोई अभिनेता। न कोई अन्ना हजारे थे और न कोई आमिर खान। यदि कुछ थी तो वो युवा एकता थी जो नये ज़माने की मीडिया " सोशल मीडिया " की देन थी जो बात तो एक लाइन में करता है लेकिन इस एक लाइन का असर देश की सरकार तक को हिला देती है।
इसलिए आज एक सलाम हमारी मीडिया के नाम।
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