Tuesday 12 November 2013

नियम सिर्फ रस्म अदायगी के लिये

              भारत में नियम अब मात्र रस्म अदायगी के लिए ही रह गये है।  राजस्थान सरकार ने तम्बाकू इस्तेमाल करने वालों को सरकारी नौकरी न देने का फैसला किया है , यानि कि वो लोग जो सरकारी नौकरी करना चाहते है उन्हें तम्बाकू उत्पादों से अब दूर रहना पड़ेगा।  
                                                                       

  उन्हें अब ऐसा शपथ पत्र देना पड़ेगा जिसमे उल्लेख होगा कि वह तम्बाकू , गुटखा , बीड़ी -सिगरेट आदि जैसी चीजों से दूर रहेंगें।  राज्य सरकार से  ऐसी सिफारिश तम्बाकू विरोधी समन्वय समिति ने कि थी।  जिसके आधार पर राजस्थान सरकार ने यह फैसला किया।  फैसला तो कर दिया है लेकिन इस कानून का उल्लंघन करने वाले कि क्या सजा होगी ? अभी यह  तय नही हुआ है।
                                                                         राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार देश में लगभग 6.2 5 करोड़ शराबी , 90 लाख भांग , 2 . 5 लाख ओपिअट्स और लगभग 1 0 लाख अवैध नशीली दवाओं के उपयोगकर्ता है।
          तम्बाकू के इस्तेमाल पर नियंत्रण का इरादा तो ठीक है लेकिन एक बार इस तरह के नियम बंनाने से पहले सरकार को एक बार इस आदेश के व्यावहारिकता पर सोचना जरुर चाहिए था।  इससे पहले रेलवे में भी तम्बाकू सेवन पर प्रतिबन्ध लगाया था लेकिन क्या हुआ आज भी रेलगाड़ियों व स्टेशनों में बेखौफ तम्बाकू उत्पाद प्रयोग किये जा रहें हैं।  यहाँ पर तो सजा का भी प्रावधान है लेकिन कभी सुना है कि किसी को बीड़ी या मसाला या फिर सिगरेट पीने के लिए 2 साल की सजा या फिर 15 जेल में रहना पड़ा है।  हाँ यह जरुर है कि रेलवे द्वारा पाबंदी की वजह से रेलगाड़ियों व स्टेशनों पर तम्बाकू उत्पादों  का इस्तेमाल होना कम हो गया है लेकिन गौर किया जाये तो राज्य सरकार की पाबंदी का असर इससे भी कम होगा।
                                                                      असर कम इसलिए भी होगा क्योंकि दफ्तर तो केवल छः या आठ घंटे का ही होता है दफ्तर के बाद वह क्या करते है , उस पर कौन नजर रखेगा।  वह तो आराम से दफ्तर के बाद तम्बाकू का उपयोग कर सकेंगें।  लोग शपथ पत्र भर तो  देंगे लेकिन करेंगें वही जो वह चाहते है।  इससे लोगों को अहसास हो जायेगा कि सरकार नियम सिर्फ कागजों व रस्म अदायगी के लिए ही बनाती है।
                                                         
 

सरकार को चाहिये की किसी भी तरह के नियम को बनाने से पहले वह यह सुनिश्चित कर ले कि वह उस नियम को किस प्रकार जनता से पालन करवायेगें क्यों कि ऐसा न करने से सिर्फ सरकार कि ही छवि ख़राब नही होगी बल्कि साथ ही साथ वह दूसरे नियमों को भी गंभीरता से नही लेंगें।
                              तम्बाकू सेवन पर प्रतिबन्ध करने कि यह पहल अच्छी है लेकिन किसी से केवल एक कागज पर लिखवा लेना कि वह ऐसा नही करेंगें , इतना मात्र उचित नही है।  यह तो सिर्फ रस्म अदायगी हो जायेगी।
                                                            

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